कांग्रेस नेता विमल जैन के कारनामों से कई त्रस्त
धोखाधड़ी के दर्जन मामले
रविभवन मामले में निगम को चूना
परिवार के कई पर जुर्म दर्ज
धोखाधड़ी कई शहरों में
भाजपा भी मेहरबान रही
विशेष प्रतिनिधि
कभी छत्तीसगढ़ के सबसे ताकतवर माने जाने वाले शुक्ल बंधुओं के भरोसे कांग्रेस की राजनीति में रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सहित की महत्वपूर्ण पदों में रहे विमल जैन और उनके पूरा परिवार पर जिस तरह से पुलिस प्रशासन मेहरबान है उससे तो यही लगता है कि उन्हें लूट की छूट दे दी गई है। दर्जनों धोखाधड़ी के शिकायतों, रवि भवन प्रमोटर्स बिल्डर्स मामले में अनियमितता के बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर संरक्षण दिया जा रहा है। विमल जैन के भाई व पुत्रों के खिलाफ जुर्म दर्ज है। यही नहीं भाजपा शासनकाल में भी उन पर मेहरबानी चलती रही। यही नहीं इनके खिलाफ राजधानी रायपुर में बल्कि दुर्ग-बिलासपुर और नागपुर से भी शिकायतें हुई है।
कांग्रेस की राजनीति में बड़े नेताओं में शुमार जैन परिवार के कारनामें चर्चा का विषय तो है ही पुलिस की मेहरबानी के कारण लोगों को कानून व्यवस्था पर भरोसा उठने लगा है। जिस तरह की शिकायतें विमल जैन उनके पुत्र द्वय वैभव-वरुण और भाई कमल जैन के खिलाफ की गई शिकायतें आई है वह हैरान कर देने वाली है। हैरानी की बात तो यह है कि इन मामलों में पुलिस की भूमिका भी संदेह के घेरे में है और कहा जा रहा है आरोपियों को पैसा खाकर छोड़ा जाता रहा है। हालांकि राजनैतिक दबाव के किस्से भी कम नहीं है और सरकार की साख पर भी सवाल उठने लगै है।
कहा जाता है कि विमल जैन व उनके पुत्रों वैभव व वरुण ने रवि भवन की दुकानें बेचने के मामले में न केवल अर्जुन दास वासवानी से धोखाधड़ी की बल्कि रिलायंस जैसी कंपनी के साथ भी धोखाधड़ी की। इस धोखाधड़ी की शिकायत पर गोलबाजार थाने में धारा 420 व &4 के तहत अपराध भी दर्ज कर लिया गया लेकिन गिरफ्तारी नहीं की गई।
सूत्रों की माने तो इस शिकायत की जांच में ही पुलिस ने कई महीने गुजार दिये और जब पुलिस पर दबाव बढ़ा तो आरोपियों के खिलाफ जुर्म दर्ज तो कर लिया गया लेकिन दो साल बाद भी गिरफ्तारी से पुलिस बचती रही।
कल्पना किया जा सकता है कि सत्ता की सांठ-गांठ में कांग्रेस और भाजपा के नेता किस कदर शामिल है। हैरान करने वाली बात तो यह भी है कि कांग्रेस नेता के इस धोखाधड़ी पर भाजपा सरकार में बैठे मंत्री भी खामोश रहे। यहां तक कि पीडि़त पक्ष न्याय के लिए हर उस दरवाजे को खटखटा रहे थे जहां से न्याय की थोड़ी भी उम्मीद दिखाई देती थी। 2 करोड़ 87 लाख के इस धोखाधड़ी के प्रकरण में अर्जुन वासवानी की हालत खराब हो गई। उसने रवि भवन में दुकान लेने न केवल बैंक से लोन लिया बल्कि मार्केट से भी ब्याज में पैसा उठाया था। बताया जाता है कि इतनी बड़ी रकम के एवज में उसे हर माह करीब 5 लाख रुपये ब्याज का देना पड़ता है।
इस मामले का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि रवि भवन की जिन दुकानों का सौदा कर रकम लिया गया वे सभी दुकानें रिलायंस कार्मशियल फायनेंस लिमिटेड के पास बंधक था। बंधक होने का पता चलने पर जब अर्जुनदास ने अपने पैसे वापस मांगे और पैसे नहीं मिले तब फिर इसकी शिकायत के आधार पर धोखाधड़ी का जुर्म दर्ज किया गया। सूत्रों की माने तो इस खेल में न केवल कांग्रेस नेता विमल जैन बल्कि उनके पुत्रद्वय वैभव और वरुण जैन के अलावा कमल जैन भी शामिल है।
बताया जाता है कि विमल जैन ने रवि भवन प्रमोटर्स बिल्डर्स के रुप में नगर निगम का करोड़ों का बकाया है। इसकी कहानी अलग से प्रकाशित की जा सकती है। जबकि शहर के कई लोगों से लाखों करोड़ों रुपये की कहानी भी अलग है। इसके अलावा अक्षय टोयटो की एजेंसी मिलने से लेकर सरकारी अधिकारियों से ब्याज पर लिये पैसों की चर्चा भी जोरों पर है। नागपुर-बिलासपुर और दुर्ग में किस तरह की शिकायतें है यह सब चर्चा का विषय है और इसका भी खुलासा शीघ्र होगा।
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