शनिवार, 22 अगस्त 2020

उरला थाना-प्रभारी कौन ?

 

(विशेष -प्रतिनिधी)
रायपुर । अवैद्य वसुली के लिये कुख्यात उरला थाना इन दिनो इसके प्रभारी को लेकर चर्चा मे है। उरला थाना-प्रभारी कौन है , यह भले ही सरकार के रिकार्ड में कोई एक नाम दर्ज हो लेकिन यहाँ के लोगों में जो चर्चा है, वह हैरान कर देने वाला है।
वैसे तो उरला थाना अपने निर्माण से ही चर्चा में रहा है। उद्योगों की वजह से आपराधिक गतिविधियों की वजह से इसकी गिनती कमाई वाले थाने के रूप मे होते रही है । कमाई के चक्कर में बढ़ते अपराध को नज़रअन्दाज़ करना और अपराधियों को पनाह देना इस थाने की फ़ितरत में शामिल है। इसके चलते इससे लगे थानो के इलाक़े में भी अपराध बढ़ने लगा है। 
सूत्रों की माने तो अवैध-शराब , जुआँ-सट्टा और चोरी के बढ़ते अपराध के चलते उरला थाना इन दिनो अवैध वसुली के लिए कुख्यात हो चला है। इसकी एक बड़ी वजह थाना में पदस्थ लोगों की वसुलीबाज़ी है। हालत यह है की पुलिस के इस करतूत के चलते आम लोगों को कई तरह की परेशानी तो हो ही रहा है भय का वातावरण भी बन गया है।
उरला थाना की बढ़ती शिकायत पर हमारे प्रतिनिधि ने जब वास्तविकता का पता लगाया तो यह देखकर हैरान रह गए की यहाँ थानेदार तो महज़ नाम का है असली थानेदार तो कोई और ही है , यहाँ पदस्थ एक सिपाही के आगे तो किसी की नहीं चलती और कहा जाता है कि थानेदार भी इसी सिपाही पर निर्भर है। पहले ही अवैध वसुली के आरोप में निलम्बित हो चुके इस सिपाही के बारे में कहा जाता है कि थानेदार कोई भी हो इलाक़े में इसी का चलता है और लोग भी इसे ही थानेदार समझते हैं हालाँकि यह अपराधियों और थानेदार के बीच सेतु का काम करता है लेकिन इसे साहेब कहलाना बेहद पसंद है।
हमारे भरोसेमंद सूत्रों की माने तो अपराधियों को खुलेआम पनाह देने की वजह से आम लोगों में बेहद आक्रोश तो है लेकिन वे खुलकर सामने नहीं आते । अपराधियों के बुलंद हौसलों का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिकायत करने वालों को ही तरह तरह से प्रताड़ित किया जाता है और करवाई की बजाय थाना परिसर में ही पुलिस के साथ गलबहियाँ करते देखा जा सकता है।
बहरहाल उरला थाने में चल रहे इस खेल से न केवल आम लोग त्रस्त है बल्कि शासन की छवि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है । सूत्रों का तो यह भी दावा है कि यही हाल रहा तो पुलिस विभाग को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है।

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