शुक्रवार, 8 मार्च 2019

ये कैसी छूट, जिसे चाहे उसे लूट...


कांग्रेस नेता विमल जैन के कारनामों से कई त्रस्त
धोखाधड़ी के दर्जन मामले
रविभवन मामले में निगम को चूना
परिवार के कई पर जुर्म दर्ज
धोखाधड़ी कई शहरों में
भाजपा भी मेहरबान रही

विशेष प्रतिनिधि
कभी छत्तीसगढ़ के सबसे ताकतवर माने जाने वाले शुक्ल बंधुओं के भरोसे कांग्रेस की राजनीति में रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सहित की महत्वपूर्ण पदों में रहे विमल जैन और उनके पूरा परिवार पर जिस तरह से पुलिस प्रशासन मेहरबान है उससे तो यही लगता है कि उन्हें लूट की छूट दे दी गई है। दर्जनों धोखाधड़ी के शिकायतों, रवि भवन प्रमोटर्स बिल्डर्स मामले में अनियमितता के बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर संरक्षण दिया जा रहा है। विमल जैन के भाई व पुत्रों के खिलाफ जुर्म दर्ज है। यही नहीं भाजपा शासनकाल में भी उन पर मेहरबानी चलती रही। यही नहीं इनके खिलाफ राजधानी रायपुर में बल्कि दुर्ग-बिलासपुर और नागपुर से भी शिकायतें हुई है।
कांग्रेस की राजनीति में बड़े नेताओं में शुमार जैन परिवार के कारनामें चर्चा का विषय तो है ही पुलिस की मेहरबानी के कारण लोगों को कानून व्यवस्था पर भरोसा उठने लगा है। जिस तरह की शिकायतें विमल जैन उनके पुत्र द्वय वैभव-वरुण और भाई कमल जैन के खिलाफ की गई शिकायतें आई है वह हैरान कर देने वाली है। हैरानी की बात तो यह है कि इन मामलों में पुलिस की भूमिका भी संदेह के घेरे में है और कहा जा रहा है आरोपियों को पैसा खाकर छोड़ा जाता रहा है। हालांकि राजनैतिक दबाव के किस्से भी कम नहीं है और सरकार की साख पर भी सवाल उठने लगै है।
कहा जाता है कि विमल जैन व उनके पुत्रों वैभव व वरुण ने रवि भवन की दुकानें बेचने के मामले में न केवल अर्जुन दास वासवानी से धोखाधड़ी की बल्कि रिलायंस जैसी कंपनी के साथ भी धोखाधड़ी की। इस धोखाधड़ी की शिकायत पर गोलबाजार थाने में धारा 420 व &4 के तहत अपराध भी दर्ज कर लिया गया लेकिन गिरफ्तारी नहीं की गई।
सूत्रों की माने तो इस शिकायत की जांच में ही पुलिस ने कई महीने गुजार दिये और जब पुलिस पर दबाव बढ़ा तो आरोपियों के खिलाफ जुर्म दर्ज तो कर लिया गया लेकिन दो साल बाद भी गिरफ्तारी से पुलिस बचती रही।
कल्पना किया जा सकता  है कि सत्ता की सांठ-गांठ में कांग्रेस और भाजपा के नेता किस कदर शामिल है। हैरान करने वाली बात तो यह भी है कि कांग्रेस नेता के इस धोखाधड़ी पर भाजपा सरकार में बैठे मंत्री भी खामोश रहे। यहां तक कि पीडि़त पक्ष न्याय के लिए हर उस दरवाजे को खटखटा रहे थे जहां से न्याय की थोड़ी भी उम्मीद दिखाई देती थी। 2 करोड़ 87 लाख के इस धोखाधड़ी के प्रकरण में अर्जुन वासवानी की हालत खराब हो गई। उसने रवि भवन में दुकान लेने न केवल बैंक से लोन लिया बल्कि मार्केट से भी ब्याज में पैसा उठाया था। बताया जाता है कि इतनी बड़ी रकम के एवज में उसे हर माह करीब 5 लाख रुपये ब्याज का देना पड़ता है।
इस मामले का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि रवि भवन की जिन दुकानों का सौदा कर रकम लिया गया वे सभी दुकानें रिलायंस कार्मशियल फायनेंस लिमिटेड के पास बंधक था। बंधक होने का पता चलने पर जब अर्जुनदास ने अपने पैसे वापस मांगे और पैसे नहीं मिले तब फिर इसकी शिकायत के आधार पर धोखाधड़ी का जुर्म दर्ज किया गया। सूत्रों की माने तो इस खेल में न केवल कांग्रेस नेता विमल जैन बल्कि उनके पुत्रद्वय वैभव और वरुण जैन के अलावा कमल जैन भी शामिल है।
बताया जाता है कि विमल जैन ने रवि भवन प्रमोटर्स बिल्डर्स के रुप में नगर निगम का करोड़ों का बकाया है। इसकी कहानी अलग से प्रकाशित की जा सकती है। जबकि शहर के कई लोगों से लाखों करोड़ों रुपये की कहानी भी अलग है। इसके अलावा अक्षय टोयटो की एजेंसी मिलने से लेकर सरकारी अधिकारियों से ब्याज पर लिये पैसों की चर्चा भी जोरों पर है। नागपुर-बिलासपुर और दुर्ग में किस तरह की शिकायतें है यह सब चर्चा का विषय है और इसका भी खुलासा शीघ्र होगा।

ऐसा सगा नहीं, जिसे ठगा नहीं


कांग्रेस नेता पूर्व राविप्रा अध्यक्ष विमल जैन का कारनामा
विशेष प्रतिनिधि
छत्तीसगढ़ की राजधानी में प्रभावशाली माने जाने वाले कांग्रेस नेता विमल जैन के बारे में कहा जाता है कि उनके द्वारा छत्तीसगढ़ के कई शहरों से धोखाधड़ी की शिकायतें हैं लेकिन राजनैतिक प्रभाव के चलते उसके खिलाफ कई मामलों में तो जुर्म दर्ज भई नहीं हुआ और कभी जुर्म दर्ज हुआ भी तो गिरफ्तार करने में पुलिस के हाथ-पांव फूलते रहे। कहा जाता है कि राजधानी में ही विमल जैन ने दर्जनों लोगों से ब्याज पर रकम लेकर लौटाने में आना कानी कर रहे हैं। इन लोगों में गुस्सा भी है और पिछले दिनों हुई मारपीट की घटना की तरह कभी भी कोई घटना हो सकती है।
कांग्रेस के इस प्रभावशाली नेता की दंबगई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा शासनकाल में भी पुलिस इनके खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकते रही। जबकि पुलिस के पास कार्रवाई का आधार भी रहा लेकिन भाजपाई मंत्रियों का भी इस आरोपी को संरक्षण मिलता रहा।
हमारे भरोसेमंद सूत्रों की माने तो कांग्रेस नेता रविभवन मामले में जिस तरह से धोखाधड़ी कर बंधन दुकानों की बिक्री की उसके बाद तो मारपीट की घटना स्वाभाविक लगा रहा था लेकिन पुलिस अब भी नजरअंदाज कर रही है। सूत्रों की माने तो विमल जैन का शहर के कई लोगों से लेन देन को लेकर विवाद चल रहा है और विवाद कभी भी गंभीर स्थिति में पहुंच सकती है। एक जानकारी के मुताबिक शहर में कई लोग हैं जो व्यापारियों को ब्याज में पैसा देने का काम करते हैं और यह सब आपसी संबंधों के आधार पर चलता है। इनमें से कई लोगों ने विमल जैन को भी ब्याज में लाखों-करोड़ों रुपये दे रखा है लेकिन विमल जैन द्वारा नहीं लौटाने या लौटाने में हील हवाला करने की वजह से विवाद की स्थिति बन गई है। सूत्रों का तो यह भी दावा है कि पिछले दिनों किसी यासीन से लिये गए ढाई करोड़ के मामले में सिंघानिया परिवार के एक सदस्य को समझौता तक कराना पड़ा।
हमारे सूत्रों की बात माने तो पैसा देने वालों में कई अफसर भी शामिल है लेकिन नम्बर दो का पैसा होने के कारण वे ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं। बताया जाता है कि इस तरह के खेल में कई खिलाड़ी है जो अफसरों को बेवकूफ बनाकर उनके नम्बर दो की कमाई को खपाने के नाम पर हजम कर लेने का जुगत लगाते हैं।
हमारे भरोसेमंद सूत्रों की माने तो एक विधायक का जीजा सहित महासमुंद का सूर्या, बबला ठाकुर, प्रकाश लुनिया, ओम अग्रवाल, हयात, यासीन, विवेक, कोमल, गुरुजीत, अजय संचेती, राजपाल जैसे नामों की फेहरिश्त है जो ब्याज में पैसा देते है और उनका करोड़ों रुपया डूबत खाते में पहुंच गया है। हालांकि इस तरह बड़ी रकम देने वाले वसूली में भी माहिर होते हैं लेकिन कई बार रकम लेने वाला प्रभावशाली हो गया तो विवाद और मारपीट की नौबत भी आ जाती है।
प्रभावशाली माने जाने वाले कांग्रेसी नेता विमल जैन के बारे में कहा जाता है कि उनके खिलाफ तो कई तरह से धोखाधड़ी करने की शिकायत है। अर्जुन वासवासी से तो रवि भवन की बंधक दुकान को बेचने के एवज में दो करोड़ सत्यासी लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला है और इनके बीच हाथापाई तक की नौबत आ चुकी है। जबकि गाड़ी देने और जमीन के मामले की भी चर्चा जोरों पर है।
सूत्रों की माने तो सीएम हाउस में गाडिय़ों का लफड़ा सहित स्कूल का लफड़ा भी चर्चा का विषय बन चुका है। क्यों नहीं थम रहा है विमल जैन का कारनामा और इन पर किनका हाथ है यह भी पाठकों के लिए दिलचस्प होगा

कांग्रेस नेता विमल का कारनामा


पूरे परिवार पर दर्ज है चार सौ बीस का केस
विशेष प्रतिनिधि
कांग्रेस के पूर्व विधायक स्वरुपचंद जैन के भाई और पूर्व राविप्रा अध्यक्ष विमल जैन के कारमानों के किस्से थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। विमल जैन के बेटों ही नहीें उनकी बेटी के खिलाफ भी चार सौ बीस का मामला दर्ज किया जा चुका है। रवि भवन में दुकान बेचने के मामले के अलावा इस परिवार के खिलाफ इनोवा कार व वर्कशाप की एजेंसी देने के मामले में भी चार सौ बीस का केस दर्ज है। 
छत्तीसगढ़ के जैन समाज में अपनी प्रतिष्ठा और राजनैतिक रसूख के रुप में चर्चित इस परिवार के कई सदस्यों पर लेन देन को लेकर धोखाधड़ी करने के मामले जिस तरह से सामने आ रहे है वह हैरान कर देने वाला है। धोखाधड़ी के मामले सामने आने से इस परिवार की प्रतिष्ठा को धक्का तो लगा ही है बाजार में भी साख पर दाग लगा है और कहा जा रहा है कि कई लोग अब इस परिवार से दूर भागने लगे हैं।
अर्जुन वासवानी को दुकान बेचने के मामले में धोखाधड़ी करने वाले विमल जैन उनके पुत्रों के बारे में कहा जाता है कि वे बाजार से कई लोगों से लाखों-करोड़ों उधारी लिये बैठे है जिसे चुकाया नहीं जा रहा है तो अनिल नचरानी का मामला भी कोर्ट के दरवाजे पर है। इसके अलावा इनोवा कार और वर्कशाप की एजेंसी देने के नाम पर दिग्विजय सिंह बाली के साथ धोखाधड़ी करने का मामला भी पुलिस ने दर्ज किया है। इस मामले में विमल जैन की बेटी वर्षा जैन को भी आरोपी बनाया गया है। बताया जाता है कि वर्षा अर्थकान के नाम से की गई धोखाधड़ी में वर्षा कंपनी की प्रोपराईटर है और पीडि़त के अनुसार वर्षा ने ब्याज सहित रकम लौटाने का वादा भी किया था। इस पूरे प्रकरण में वैभव और वरुण के खिलाफ भी चार सौ बीस का प्रकरण दर्ज किया गया है। बताया जाता है कि हिर्री पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई कर मामला कोर्ट के सुपुर्द कर दिया है जहां से आरोपी जमानत पर हैं हालांकि वर्षा जैन पहली बार तब चर्चा में आई जब केबीसी के रायपुर आडिशंस में उनके इंडिरियल डिजाईन का काम किया। सूत्रों की माने तो इस प्रकरण को समाप्त करने के लिए समझौते की कोशिश भी की जा रही है।
सूत्रों की माने तो जिस तरह से विमल जैन उनके दोनों बेटों और बेटी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ है। इस तरह के कई और मामले भी है। पिछले अंक में हमने बाजार से पैसा लेकर नहीं देने का मामला प्रकाशित किया था इसके बाद कई और लोगों ने हमसे संपर्क कर अपने साथ हुए धोखाधड़ी की खबर दी है। इनमें से कई लोग पैसा वापसी की उम्मीद में पुलिस तक नहीं पहुंचे हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि पुलिस तक मामला पहुंचने के बाद मामला कोर्ट न्यायालय में पहुंच जायेगा जहां न्याय मिलने में समय लग सकता है। बहरहाल पूर्व विधायक स्वरुपचंद जैन के भाई विमल जैन के किस्से थमने का नाम नहीं ले रहा है देखना है कि इस मामले को लेकर और क्या कुछ होता है।