शुक्रवार, 8 मार्च 2019

ये कैसी छूट, जिसे चाहे उसे लूट...


कांग्रेस नेता विमल जैन के कारनामों से कई त्रस्त
धोखाधड़ी के दर्जन मामले
रविभवन मामले में निगम को चूना
परिवार के कई पर जुर्म दर्ज
धोखाधड़ी कई शहरों में
भाजपा भी मेहरबान रही

विशेष प्रतिनिधि
कभी छत्तीसगढ़ के सबसे ताकतवर माने जाने वाले शुक्ल बंधुओं के भरोसे कांग्रेस की राजनीति में रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सहित की महत्वपूर्ण पदों में रहे विमल जैन और उनके पूरा परिवार पर जिस तरह से पुलिस प्रशासन मेहरबान है उससे तो यही लगता है कि उन्हें लूट की छूट दे दी गई है। दर्जनों धोखाधड़ी के शिकायतों, रवि भवन प्रमोटर्स बिल्डर्स मामले में अनियमितता के बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर संरक्षण दिया जा रहा है। विमल जैन के भाई व पुत्रों के खिलाफ जुर्म दर्ज है। यही नहीं भाजपा शासनकाल में भी उन पर मेहरबानी चलती रही। यही नहीं इनके खिलाफ राजधानी रायपुर में बल्कि दुर्ग-बिलासपुर और नागपुर से भी शिकायतें हुई है।
कांग्रेस की राजनीति में बड़े नेताओं में शुमार जैन परिवार के कारनामें चर्चा का विषय तो है ही पुलिस की मेहरबानी के कारण लोगों को कानून व्यवस्था पर भरोसा उठने लगा है। जिस तरह की शिकायतें विमल जैन उनके पुत्र द्वय वैभव-वरुण और भाई कमल जैन के खिलाफ की गई शिकायतें आई है वह हैरान कर देने वाली है। हैरानी की बात तो यह है कि इन मामलों में पुलिस की भूमिका भी संदेह के घेरे में है और कहा जा रहा है आरोपियों को पैसा खाकर छोड़ा जाता रहा है। हालांकि राजनैतिक दबाव के किस्से भी कम नहीं है और सरकार की साख पर भी सवाल उठने लगै है।
कहा जाता है कि विमल जैन व उनके पुत्रों वैभव व वरुण ने रवि भवन की दुकानें बेचने के मामले में न केवल अर्जुन दास वासवानी से धोखाधड़ी की बल्कि रिलायंस जैसी कंपनी के साथ भी धोखाधड़ी की। इस धोखाधड़ी की शिकायत पर गोलबाजार थाने में धारा 420 व &4 के तहत अपराध भी दर्ज कर लिया गया लेकिन गिरफ्तारी नहीं की गई।
सूत्रों की माने तो इस शिकायत की जांच में ही पुलिस ने कई महीने गुजार दिये और जब पुलिस पर दबाव बढ़ा तो आरोपियों के खिलाफ जुर्म दर्ज तो कर लिया गया लेकिन दो साल बाद भी गिरफ्तारी से पुलिस बचती रही।
कल्पना किया जा सकता  है कि सत्ता की सांठ-गांठ में कांग्रेस और भाजपा के नेता किस कदर शामिल है। हैरान करने वाली बात तो यह भी है कि कांग्रेस नेता के इस धोखाधड़ी पर भाजपा सरकार में बैठे मंत्री भी खामोश रहे। यहां तक कि पीडि़त पक्ष न्याय के लिए हर उस दरवाजे को खटखटा रहे थे जहां से न्याय की थोड़ी भी उम्मीद दिखाई देती थी। 2 करोड़ 87 लाख के इस धोखाधड़ी के प्रकरण में अर्जुन वासवानी की हालत खराब हो गई। उसने रवि भवन में दुकान लेने न केवल बैंक से लोन लिया बल्कि मार्केट से भी ब्याज में पैसा उठाया था। बताया जाता है कि इतनी बड़ी रकम के एवज में उसे हर माह करीब 5 लाख रुपये ब्याज का देना पड़ता है।
इस मामले का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि रवि भवन की जिन दुकानों का सौदा कर रकम लिया गया वे सभी दुकानें रिलायंस कार्मशियल फायनेंस लिमिटेड के पास बंधक था। बंधक होने का पता चलने पर जब अर्जुनदास ने अपने पैसे वापस मांगे और पैसे नहीं मिले तब फिर इसकी शिकायत के आधार पर धोखाधड़ी का जुर्म दर्ज किया गया। सूत्रों की माने तो इस खेल में न केवल कांग्रेस नेता विमल जैन बल्कि उनके पुत्रद्वय वैभव और वरुण जैन के अलावा कमल जैन भी शामिल है।
बताया जाता है कि विमल जैन ने रवि भवन प्रमोटर्स बिल्डर्स के रुप में नगर निगम का करोड़ों का बकाया है। इसकी कहानी अलग से प्रकाशित की जा सकती है। जबकि शहर के कई लोगों से लाखों करोड़ों रुपये की कहानी भी अलग है। इसके अलावा अक्षय टोयटो की एजेंसी मिलने से लेकर सरकारी अधिकारियों से ब्याज पर लिये पैसों की चर्चा भी जोरों पर है। नागपुर-बिलासपुर और दुर्ग में किस तरह की शिकायतें है यह सब चर्चा का विषय है और इसका भी खुलासा शीघ्र होगा।

ऐसा सगा नहीं, जिसे ठगा नहीं


कांग्रेस नेता पूर्व राविप्रा अध्यक्ष विमल जैन का कारनामा
विशेष प्रतिनिधि
छत्तीसगढ़ की राजधानी में प्रभावशाली माने जाने वाले कांग्रेस नेता विमल जैन के बारे में कहा जाता है कि उनके द्वारा छत्तीसगढ़ के कई शहरों से धोखाधड़ी की शिकायतें हैं लेकिन राजनैतिक प्रभाव के चलते उसके खिलाफ कई मामलों में तो जुर्म दर्ज भई नहीं हुआ और कभी जुर्म दर्ज हुआ भी तो गिरफ्तार करने में पुलिस के हाथ-पांव फूलते रहे। कहा जाता है कि राजधानी में ही विमल जैन ने दर्जनों लोगों से ब्याज पर रकम लेकर लौटाने में आना कानी कर रहे हैं। इन लोगों में गुस्सा भी है और पिछले दिनों हुई मारपीट की घटना की तरह कभी भी कोई घटना हो सकती है।
कांग्रेस के इस प्रभावशाली नेता की दंबगई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा शासनकाल में भी पुलिस इनके खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकते रही। जबकि पुलिस के पास कार्रवाई का आधार भी रहा लेकिन भाजपाई मंत्रियों का भी इस आरोपी को संरक्षण मिलता रहा।
हमारे भरोसेमंद सूत्रों की माने तो कांग्रेस नेता रविभवन मामले में जिस तरह से धोखाधड़ी कर बंधन दुकानों की बिक्री की उसके बाद तो मारपीट की घटना स्वाभाविक लगा रहा था लेकिन पुलिस अब भी नजरअंदाज कर रही है। सूत्रों की माने तो विमल जैन का शहर के कई लोगों से लेन देन को लेकर विवाद चल रहा है और विवाद कभी भी गंभीर स्थिति में पहुंच सकती है। एक जानकारी के मुताबिक शहर में कई लोग हैं जो व्यापारियों को ब्याज में पैसा देने का काम करते हैं और यह सब आपसी संबंधों के आधार पर चलता है। इनमें से कई लोगों ने विमल जैन को भी ब्याज में लाखों-करोड़ों रुपये दे रखा है लेकिन विमल जैन द्वारा नहीं लौटाने या लौटाने में हील हवाला करने की वजह से विवाद की स्थिति बन गई है। सूत्रों का तो यह भी दावा है कि पिछले दिनों किसी यासीन से लिये गए ढाई करोड़ के मामले में सिंघानिया परिवार के एक सदस्य को समझौता तक कराना पड़ा।
हमारे सूत्रों की बात माने तो पैसा देने वालों में कई अफसर भी शामिल है लेकिन नम्बर दो का पैसा होने के कारण वे ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं। बताया जाता है कि इस तरह के खेल में कई खिलाड़ी है जो अफसरों को बेवकूफ बनाकर उनके नम्बर दो की कमाई को खपाने के नाम पर हजम कर लेने का जुगत लगाते हैं।
हमारे भरोसेमंद सूत्रों की माने तो एक विधायक का जीजा सहित महासमुंद का सूर्या, बबला ठाकुर, प्रकाश लुनिया, ओम अग्रवाल, हयात, यासीन, विवेक, कोमल, गुरुजीत, अजय संचेती, राजपाल जैसे नामों की फेहरिश्त है जो ब्याज में पैसा देते है और उनका करोड़ों रुपया डूबत खाते में पहुंच गया है। हालांकि इस तरह बड़ी रकम देने वाले वसूली में भी माहिर होते हैं लेकिन कई बार रकम लेने वाला प्रभावशाली हो गया तो विवाद और मारपीट की नौबत भी आ जाती है।
प्रभावशाली माने जाने वाले कांग्रेसी नेता विमल जैन के बारे में कहा जाता है कि उनके खिलाफ तो कई तरह से धोखाधड़ी करने की शिकायत है। अर्जुन वासवासी से तो रवि भवन की बंधक दुकान को बेचने के एवज में दो करोड़ सत्यासी लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला है और इनके बीच हाथापाई तक की नौबत आ चुकी है। जबकि गाड़ी देने और जमीन के मामले की भी चर्चा जोरों पर है।
सूत्रों की माने तो सीएम हाउस में गाडिय़ों का लफड़ा सहित स्कूल का लफड़ा भी चर्चा का विषय बन चुका है। क्यों नहीं थम रहा है विमल जैन का कारनामा और इन पर किनका हाथ है यह भी पाठकों के लिए दिलचस्प होगा

कांग्रेस नेता विमल का कारनामा


पूरे परिवार पर दर्ज है चार सौ बीस का केस
विशेष प्रतिनिधि
कांग्रेस के पूर्व विधायक स्वरुपचंद जैन के भाई और पूर्व राविप्रा अध्यक्ष विमल जैन के कारमानों के किस्से थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। विमल जैन के बेटों ही नहीें उनकी बेटी के खिलाफ भी चार सौ बीस का मामला दर्ज किया जा चुका है। रवि भवन में दुकान बेचने के मामले के अलावा इस परिवार के खिलाफ इनोवा कार व वर्कशाप की एजेंसी देने के मामले में भी चार सौ बीस का केस दर्ज है। 
छत्तीसगढ़ के जैन समाज में अपनी प्रतिष्ठा और राजनैतिक रसूख के रुप में चर्चित इस परिवार के कई सदस्यों पर लेन देन को लेकर धोखाधड़ी करने के मामले जिस तरह से सामने आ रहे है वह हैरान कर देने वाला है। धोखाधड़ी के मामले सामने आने से इस परिवार की प्रतिष्ठा को धक्का तो लगा ही है बाजार में भी साख पर दाग लगा है और कहा जा रहा है कि कई लोग अब इस परिवार से दूर भागने लगे हैं।
अर्जुन वासवानी को दुकान बेचने के मामले में धोखाधड़ी करने वाले विमल जैन उनके पुत्रों के बारे में कहा जाता है कि वे बाजार से कई लोगों से लाखों-करोड़ों उधारी लिये बैठे है जिसे चुकाया नहीं जा रहा है तो अनिल नचरानी का मामला भी कोर्ट के दरवाजे पर है। इसके अलावा इनोवा कार और वर्कशाप की एजेंसी देने के नाम पर दिग्विजय सिंह बाली के साथ धोखाधड़ी करने का मामला भी पुलिस ने दर्ज किया है। इस मामले में विमल जैन की बेटी वर्षा जैन को भी आरोपी बनाया गया है। बताया जाता है कि वर्षा अर्थकान के नाम से की गई धोखाधड़ी में वर्षा कंपनी की प्रोपराईटर है और पीडि़त के अनुसार वर्षा ने ब्याज सहित रकम लौटाने का वादा भी किया था। इस पूरे प्रकरण में वैभव और वरुण के खिलाफ भी चार सौ बीस का प्रकरण दर्ज किया गया है। बताया जाता है कि हिर्री पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई कर मामला कोर्ट के सुपुर्द कर दिया है जहां से आरोपी जमानत पर हैं हालांकि वर्षा जैन पहली बार तब चर्चा में आई जब केबीसी के रायपुर आडिशंस में उनके इंडिरियल डिजाईन का काम किया। सूत्रों की माने तो इस प्रकरण को समाप्त करने के लिए समझौते की कोशिश भी की जा रही है।
सूत्रों की माने तो जिस तरह से विमल जैन उनके दोनों बेटों और बेटी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ है। इस तरह के कई और मामले भी है। पिछले अंक में हमने बाजार से पैसा लेकर नहीं देने का मामला प्रकाशित किया था इसके बाद कई और लोगों ने हमसे संपर्क कर अपने साथ हुए धोखाधड़ी की खबर दी है। इनमें से कई लोग पैसा वापसी की उम्मीद में पुलिस तक नहीं पहुंचे हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि पुलिस तक मामला पहुंचने के बाद मामला कोर्ट न्यायालय में पहुंच जायेगा जहां न्याय मिलने में समय लग सकता है। बहरहाल पूर्व विधायक स्वरुपचंद जैन के भाई विमल जैन के किस्से थमने का नाम नहीं ले रहा है देखना है कि इस मामले को लेकर और क्या कुछ होता है।

रविवार, 24 फ़रवरी 2019

तो आधा दर्जन पूर्व मंत्री और उतने ही अफसर जायेंगे जेल


0 रोज सामने आ रहे घोटाले, अरबों का घोटाला
विशेष प्रतिनिधि
छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही जिस तरह से पूर्व सरकार के घपले घोटाले सामने आ रहे हैं वह हैरान कर देने वाला है। रोज सामने आ रहे घोटाले की ईमानदारी से जांच हुई तो न केवल आधा दर्जन से अधिक मंत्री जेल के सलाखों में होंगे बल्कि इतने ही अफसर भी जेल जाएँगे। हालत यह है कि ऐसा कोई विभाग नहीं है जिसमें घपले कर करोड़ों रुपये हजम नहीं किया गया है। खुद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का नाम भी कई घपलों में शामिल है।
पिछले पन्द्रह सालों से सत्ता में रही भाजपा सरकार के घपलों की फेहरिश्त थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिस तरह के घपले सामने आ रहे हैं वह हैरान कर देने वाला है। सूत्रों की माने तो रमन राज में ऐसा कोई विभाग नहीं बचा था जहां घपले-घोटाले नहीं किये गये थे। स्वयं रमन सिंह के पास जो विभाग थे उर्जा, खनिज, जनसंपर्क में भी करोड़ों-अरबों का घोटाला हुआ है।
हालांकि नई सरकार के मुखिया ने कुछ विभाग में हुए बड़े घोटाले की ही जांच के आदेश दिये है। सर्वाधिक चर्चित नान घोटाले में तो रमन सिंह और उनकी पत्नी का नाम सामने आने की बात कही जा रही है। सूत्रों की माने तो नान घोटाले में जिस तरह का बंदरबांट हुआ है उसमें दो दर्जन से अधिक प्रभावशाली लोगों के नाम सामने आये है जिनमें राजनेता से लेकर अफसरशाही का जिस तरह से गठजोड़ सामने आया है, वह न केवल हैरानी भरा है बल्कि शर्मनाक भी कहा जा रहा है। गरीबों को चावल के नाम से हुए घोटाले भाजपा की रीति-नीति और कथनी करनी में अंतर साफ देखा जा रहा है।
एक तरफ केन्द्र में बैठी मोदी सरकार कांग्रेस पर रोज नये-नये आरोप लगाकर स्वयं को पाक साफ बता रही है तो दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार की करतूत बता रही है कि सत्ता में आते ही करोड़ों रुपये कमाने किस तरह का षडय़ंत्र किया जाता है।
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल में उर्जा विभाग में ओपन एक्सेस घोटाले की फाईल अब भी धूल खा रही है। सूत्र बताते है कि निजी कंपनियों से सांठ-गांठ कर अरबों रुपये का फायदा पहुंचाने के इस खेल में अमन सिंह की भूमिका को लेकर भी सवाल उठते रहे है जबकि खनिज विभाग में कोल ब्लाक और आयरन ओर की खदानों को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। भटगांव कोल ब्लाक के आबंटन को लेकर तो न केवल नितिन गडकरी और संचेती बंधुओं के नाम सामने आये थे बल्कि खनिज विकास निगम की भूमिका को लेकर कैग ने भी गंभीर टिप्पणी की थी।
इसी तरह जनसंपर्क विभाग में हुए घपले घोटाले भी चर्चा के केन्द्र में है। अपनी छवि चमकाने के नाम पर जिस तरह से यहां घोटाले हुए है वह भी जांच का विषय है। अपने लोगों को उपकृत करने के इस खेल में सरकारी खजाने में डकैती डाली गई है कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। हालांकि मुख्यमंत्री ने इस बंदरबांट की जानकारी मिलते ही 17 एजेसियां की सेवा को हटाने का निर्देश तो दे दिया लेकिन ऐसे कई मामले है जिसकी जांच हुई तो दर्जनभर लोग जेल में होंगे।
सू्त्रों की माने तो रमन राज में न केवल अफसरों और राजनेताओं ने गठजोड़ कर करोड़ों-अरबों रुपये हजम किये बल्कि इस खेल में मंत्रियों के रिश्तेदारों और खासमखास लोग भी शामिल थे। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण, जल संसाधन, पंचायत, वन, खाद्य विभाग में भी करोड़ों के घोटाले सामने आ चुके है और सरकार इसकी जांच के लिए रणनीति बना रही है।
बहरहाल पूर्व सरकार के घोटाले को लेकर प्रशासनिक हल्कों में चर्चा गर्म है और कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की वजह से कई मामलों की जांच को निलंबित करवाया गया है ताकि बदलापुर की बात न हो।

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

भाजपा राज में महिला अपनी अस्मत पर रोते रहीं


और पुलिस कहती रही समझौता कर लो!
रायपुर। राजधानी में एक महिला अपने अस्मत को लेकर रोते रही, बिलखते रही और सरकार में बैठे भाजपा के दिग्गजों को उसकी चीख सुनाई ही नहीं दी। थक कर उसे न्यायालय के शरण में जाना पड़ा। राजधानी में घटी इस घटना का शर्मनाक पहलू यह है कि पीडि़ता को न्याय दिलाने की बजाय पुलिस का एक वर्दीधारी महिला को समझौता करने के लिए धमकी देता रहा। राजधानी के हीरापुर इलाके में अगस्त 18 की इस घटना को आज 6 माह गुजर गये है और जब न्यायालय में भी पुलिस का रवैया जब टालमटोल का रहा तो वह रोते बिलखते प्रेस क्लब आ गई जहां उसकी ही जुबानी यह घटना को प्रकाशित किया जा रहा है। उसने जो लिखित में पत्रकारों जो आपबीती बताई वह राजधानी के पुलिस के लिए शर्मनाक तो है ही रमन राज में महिलाओं के प्रति असंवेदनशीलता को भी दर्शाने के लिए काफी है।
महिला के मुताबिक अपने साथ हुए कृत्य के दौरान वह हिम्मत हार जाती तो अपराधी उसके साथ न केवल बलात्कार करने में सफल हो जाते बल्कि जान से भी मार सकते थे। अपनी अस्मत बचाने इस महिला ने जिस तरह से अपराधियों के खिलाफ साहस दिखाया उसके लिए उसे पुरस्कृत करने की बजाय पुलिस का रवैया सभ्य समाज को शर्मसार करने वाला है। महिला ने बताया कि 20.8.2018 को रात्री लगभग 10.&0 ....11 को पीडिता रिंग रोड नंबर 2 टाटीबंध हीरापुर थाना आमानाका रायपुर में अपना ढाबा बंद करने की तैयारी कर रही थी कि उसी समय रनधीर सिंह राहल सिंह और एक अन्य लडका जो हीरापुर टाटीबंध के रहने वाले है ढाबा में आये और बोले शराब पीना है तो पीडिता ने मना किया और चले जाने के लिये बोली उतने मे हीरापर टाटीबंध मे रहने वाला मुकेश और उसका लडका जो कि अवैध शराब बेचने का काम भी करते है पीडिता के ढाबा के पास पान ठेला लगाता है भी आ गये और दोनो बोले कि रनधीर सिंह राहुलसिंह उसके उसके साथ आया हुआ लडका उसका कस्टमर है इसलिये शराब पीने दो तो पीडिता ने मुकेश और उसके लडका को भी ऐसा करने से मना कर दिया तो सभी जबरदस्ती करने लगे तो पीडिता ने पुलिस मे शिकायत करने की बात कही और मोबाईल से पुलिस को फोन लगाने लगी तभी मुकेश ने मेरा मोबाईल छीन कर तोड दिया और गंदी गंदी गालियां देते हुए सभी लोग अभद्र व्यवहार करने लगे पीडिता डर गयी और ढाबा से बाहर निकलने लगी तभी सभी लोगो ने पीडिता को पकड लिया और पीडिता की साडी उतार दी गलत नीयत से और पीडिता की लÓजा भंग करने की नीयत से आपात्तिजनक कृत्य भी करने लगे ंइस कृत्य के कारण पीडिता का ब्लाउज फट गया और पेटीकोट और ब्लाउज पहने ढाबा से रिंग रोड पर आ गई और सहायता मांगने के लिये चिल्लाने लगी । उसके बाद उपरोक्त सभी व्यक्ति ढाबा से भाग गये । फिर पीडिता ने अपना ढाबा तुरंत बंद कर अपने धर आ गयी । पीडिता अत्यंत भयभीत थी और दूसरे दिन 21.8.2018 सुबह लगभग 6 बजे थाना आमानाका जा रही थी थाना के पास से ही दो लडको ने पीडिता को थाना से भगा दिया। दोनो लडकों को पीडिता नही जानती है । उसके बाद महोबाबाजार तक आयी और किसी से मदद लेकर सीएम हेल्पलाईन में शिकायत किया । पीडिता ने उपरोक्त धटना की पूरी जानकारी सीएम हेल्पलाईन में दिया सीएम हेल्पलाईन से 22.8.2018 को दोपहर के लगभग पीडिता के पास फोन आया और आमानाका थाना जाने के लिये बोले । शाम के लगभग 5 बजे पीडिता थाना गयी तो पीडिता ने पुंिलस थाना आमानाका में उपरोक्त पूरी धटना के बारे में बताया प्रथम सूचना प्रतिवेदन थाना आमानाका ने दर्ज किया जिसका अपराध क्रंमाक 212।2018 है। लेकिन जैसी घटना हुई थी वैसी रिपोर्ट दर्ज नही किया गया था । इसकी जानकारी पीडिता को लगभग 10 दिनो के बाद हुई पुलिस थाना आमानाका ने सामान्य अपराध के संबंध में प्रथम सूचना प्रतिवेदन दर्ज किया और अपराधियों को बचाने का असफल प्रयास किया पीडिता ने 10.9.2018 को लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक रायपुर को किया लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई दिनांक 5.11.2018 को भी शिकायत पुलिस अधीक्षक से किया उसके बाद भी कोई कार्यवाही नही की गई उसके बाद भी कोई कार्यवाही नही की गई 4.1.2019 को भी शिकायत की गई। जिसमें यह भी शिकायत की गई कि थाना आमानाका में पदस्थ कर्मचारी टीकम रावत ने पीडिता के ढाबा मे आया।(शेष पृष्ठ & पर)
 और ढाबा के बाहर बुलाकर बोला कि थाना आ जाना केस बंद करवा देगे समझौता करवा देते है आरोपीगण हमेशा मदद करेगे । लेकिन पुलिस अधीक्षक ने भी कोई कार्यवाही नही की पीडिता व्यक्तिगत रूप से भी दिनांक 21.1.2019 को पुलिस अधीक्षक से उनके चेम्बर मे मिली तब पुलिस अधीक्षक ने कहा था कि आरोपीगणो की गिरप्तारी करवाते है लेकिन पुलिस अधीक्षक और थाना आमानाका प्रभारी ने भी कोई कार्यवाही नही की यहां तक पुलिस वालो ने पीडिता का बयान भी दर्ज नही किया है और सिर्फ  1 फोटो लिया है । पीडिता ने पुलिस प्रशासन से मानसिक रूप से प्रताडित होकर और परेशान होकर न्यायलय के समक्ष दिनांक 4.2.2019 कार्यवाही  करने के लिये आवेदन प्रस्तुत कर दिया है जिस पर से न्यायलय के द्वारा दिनांक 5.2.2019 को थाना आमानाका से केस डायरी और प्रतिवेदन बुलाया गया लेकिन थाना आमानाका को पुंलिस अधीक्षक के समक्ष प्रस्तुत षिकायत पर क्या जांच की गई है के संबंध में प्रतिवेदन मांगा लेकिन थाना आमानाका ने कोई प्रतिवेदन दिनांक 7.2.2019 को भी प्रस्तुत नही किया अब दिनांक 11.2.2019 को प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की तारीख नियत की गई है। पीडिता आज भी अपराधियों के विरूद्व समुचित कार्यवाही करवाने के लिये अपने फटे हुये कपउे लिये हुंये भटक रही है

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019

दहेजलोभी पति को सजा दिलाना ही ध्येय...


भाठापारा के नेहा मंधानी ने और उसके परिवार ने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस घर में वह रानी बनकर जा रही है वहां उसकी जिन्दगी किसी नौकरानी से भी बदतर बना दी जायेगी। सिर्फ 20 लाख के लिए प्रताडऩा के इस दौर में नेहा एक एक दिन किस तरह काटी वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है इसके बाद भी वह अपनी बेटी की खातिर हर समझौते को तैयार थी लेकिन जब समाज और पुलिस काउसिलिंग में भी बात नहीं बनी तो वह रिपोर्ट लिखाने मजबूर हुई। लेकिन पति अब भी फरार है।
भाटापारा की नेहा की शादी 17 जनवरी 2016 को रायपुर स्थित राजेन्द्र नगर निवासी सुमीत थावानी से हुई। सुमीत घर का इकलौता पुत्र है और पंडरी में इनका किड्स वेयर के नाम से दुकान संचालित है। शादी रायपुर में ही हुई और लड़की वालों ने बेटी की खुशी के लिए जो कुछ बन सकता था खुशी खुशी दिये। लेकिन शादी को अभी एक माह भई नहीं बीते थे कि नेहा को मायके से 20 लाख रुपये लाने कहा गया। इस बात को लेकर ताना दिया जाने लगा और जब मानसिक प्रताडऩा के बाद भी नेहा टस से मस नहीं हुई तो फिर शारीरिक प्रताडऩा का दौर शुरु हुआ। इस दौर में ससुर गिरीश, सास रेखा और ननद गुंजन भी शामिल हो गई। नेहा के मुताबिक सुमित आये दिन शराब के नशे में आता और पैसे की मांग कर मारपीट करता और मायके में शिकायत करने पर प्रताडऩा और बढ़ जाता। शादी के दस माह बाद तो उसे घर से निकाल दिया गया जबकि इस दौरान वह गर्भवती थी।
इसके बाद सामाजिक बैठकों का दौर चला और जब समाज का दबाव भी काम नहीें आया तो थाने का दरवाजा खटखटाया गया। करीब पांच काउंसिलिंग हुई लेकिन सुमित और उसका परिवार टस से मस नहीं हुआ तब 5 दिसम्बर को दहेज प्रताडऩा की रिपोर्ट लिखी गई और सुमित तथा उसके माता पिता और बहन को आरोपी बनाया गया।
बताया जाता है कि थाने में रिपोर्ट तो लिख ली गई लेकिन आरोपियों से पैसे खाकर फरार बता दिया गया। पुलिस की लापरवाही के चलते मुख्य अभिुक्त सुमित फरार है और थाने में सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। पत्रकारवार्ता में नेहा ने बताया कि सुमित अब भी अग्रिम जमानत लेने की कोशिश में लगा है।